
कार्यकारिणी सदस्य आरके जोशी, श्याम किशोर मिश्रा, कश्मीर सिंह, धमेंद्र जैन व दिलीप कुमार शर्मा के विरूद्ध की गयी कार्यवाही निरस्त।
द ग्वालियर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय अभिभाषक संघ (Madhya Pradesh High Court Bar Council) की साधारण सभा में बार के सचिव के रूप में पवन पाठक को फिर सामान्य करते हुए कार्यकारिणी सदस्य आरके जोशी, श्याम किशोर मिश्रा, कश्मीर सिंह, धर्मेंद्र जैन व दिलीप कुमार शर्मा के खिलाफ 14 अक्टूबर 2020 को की गई कार्यवाही को निरस्त कर दिया है।
उच्च न्यायालय अभिभाषक संघ द्वारा सोशल मीडिया पर साधारण सभा की बैठक आयोजित करने की सूचना सभी अभिभाषकों को दी गई थी। इस सूचना पर बार की साधारण सभा की बैठक जिला न्यायालय के अभिभाषक कक्ष में कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए आयोजित की गई।
बैठक में 600 से अधिक अधिवक्ता उपस्थित हुए। सभी अधिवक्ताओं के नाम साधारण सभा रजिस्टर पर दर्ज किए गए। बैठक में सभी अधिवक्ताओं ने एकमत से 4 सितंबर 2020 की कार्यवाही को निरस्त कर दिया, जिससे उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ के सचिव पद पर पवन पाठक फिर से अपना कार्य कर सकेंगे। इसके अलावा कार्यकारिणी सदस्य आरके जोशी, श्याम किशोर मिश्रा, कश्मीर सिंह, धर्मेंद्र जैन व दिलीप कुमार शर्मा के विरुद्ध की गई कार्यवाही को निरस्त कर दिया गया।
इस निर्णय के बाद सभी पदाधिकारी पूर्व की तरह ही उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ की संपूर्ण कार्यवाही को संचालित कर सकेंगे। संघ की साधारण सभा में 4 सितंबर 2020 की प्रोसिडिंग को निरस्त करते हुए चेतावनी भी दी कि भविष्य में विधि संवत प्रक्रिया का पालन विवादित विषयों पर साधारण सभा के समक्ष किया जाए।
सभी अधिवक्ताओं को 5000 रुपए लिए जाने की मांग
साधारण सभा की बैठक में अधिवक्ताओं ने कोविड-19 के कारण सभी अधिवक्ताओं को 5000 रुपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए जाने की मांग की। बैठक में यह भी कहा गया कि जिन अधिवक्ताओं को पूर्व में ढाई हजार की राशि प्रदान की गई है उन्हें ढाई हजार रुपए और प्रदान किए जाएं, जिससे कि अधिवक्ताओं को कोविड-19 में मदद मिल सके। एडवोकेट सोमवीर सिंह कहा कि दिल्ली सरकार की तरह ही मध्य प्रदेश सरकार भी अधिवक्ताओं के हित में आर्थिक मदद करें। बैठक में अधिवक्ता राकेश नारायण दीक्षित, जितेंद्र पांडे, अरविंद शर्मा, वीके शर्मा, धर्मेंद्र नायक, सोमवीर यादव आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। साधारण सभा में जो भी प्रस्ताव रखे गए उन सभी प्रस्तावों को सर्वसम्मति से पारित किया गया।