
द ग्वालियर। पांच साल तक पीएमटी कांड मामले की जांच करने के बाद सीबीआई द्वारा कोर्ट में बीते दिन गुरूवार को 60 लोगों के खिलाफ चालान पेश किए जाने के बाद अब आरोपियों को जेल जाने का डर सताने लगा है। इसी डर से भोपाल के चिरायु मेडिकल कॉलेज के साथ मिलकर पीएमटी कांड के फर्जीवाडे को करने के सात आरोपियों ने आज शुक्रवार को आग्रीम जमानत का आवेदन दिया। पीएमटी कांड के इन आरोपियों के आवेदन पर विशेष सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने सुनवाई करते हुए चार आरोपियों की जमानत आवेदन खारिज कर दिया है। इन चार में से दो आरोपित शासकीय अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं। वहीं शेष 3 जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के लिए अब 11 जनवरी की तरीख तय की गई है।
घोटाले में जीआरएमसी का बाबू मददगार
भोपाल के प्राइवेट चिरायु मेडिकल कॉलेज ट्रस्टी गोयंका द्वारा प्रवेश कैसे मेधावी छात्रों को पीएमटी परीक्षा दिलाई जाती थी जो पूर्व से मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस कर रहे होते थे। जब वह मेधावी छात्र पीएम के पास कर लेता था तो उसके दस्तावेज निकलवा कर उसे काउंसिलिंग में शामिल कराया जाता था। इस फर्जीवाड़े में जीआर मेडिकल कॉलेज का बाबू परमानंद वाधवा मदद करता था। कॉलेज में सरकारी कोटे की सीट पर यह छात्र प्रवेश लेते थे एवं काउंसलिंग खत्म होने के बाद आखरी समय पर अपना प्रवेश निरस्त करा लेते जिससे सरकारी कोटे की सीट खाली होने पर उसे बड़ी कीमत में बेचा जाता था।
इनकी जमानत याचिका हुई खारिज
- इटारसी के सरकारी अस्पताल में चिकित्सकीय पद पर कार्यरत डॉ:सलमान हसन पर आरोप है कि इन्होने चिरायु कॉलेज में सरकारी कोटे की सीट को खरीदकर एमबीबीएस में दाखिला लिया था।
- ग्वालियर के दीनदयाल नगर निवासी विजय सिंह भदौरिया पर आरोप है कि चिरायु मेडिकल कॉलेज में सीट खरीदकर एमबीबीएस किया।
- खरगोन के सोलंकी कॉलोनी निवासी दीक्षा चाचरिया पर भी सीट खरीदी का आरोप है।
- राजस्थान के सरकारी कम्युनिटी हैल्थ सेंटर में बतौर प्रभारी डॉ धर्मेंद्र कुमावत ने राजस्थान से एमबीबीएस किया। डिग्री के दौरान मप्र में भी पीएमटी दी और काउंसिलिंग में चिरायु मेडिकल कॉलेज में सीटी अलोट कराई, और फिर अचानक आखिरी वक्त में इसे छोड दिया।