
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने लिखा पत्र
ग्वालियर| नगर निगम(nagar nigam gwalior) द्बारा तलघरों में की जा रही तोड़फोड़ को रोके जाने के संबंध में म.प्र. चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री (mpcci) द्बारा आज प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, राज्यसभा सदस्य एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और ग्वालियर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर को पत्र लिखा है
एमपीसीसीआई अध्यक्ष-विजय गोयल, संयुक्त अध्यक्ष-प्रशांत गंगवाल, उपाध्यक्ष-पारस जैन, मानसेवी सचिव-डॉ. प्रवीण अग्रवाल, मानसेवी संयुक्त सचिव-ब्रजेश गोयल एवं कोषाध्यक्ष-वसंत अग्रवाल द्बारा प्रेस को जारी विज्ञप्ति में बताया कि नगर निगम ग्वालियर द्बारा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देकर शहर में तलघरों की तुड़ाई की जा रही है| इसमें ऐसे भी तलघर शामिल हैं, जिनमें कि पार्किंग हो पाना ही संभव नहीं है, फिर भी नगर निगम द्बारा उन्हें तोड़ा जा रहा है|
शहर में ऐसे तलघर जिनमें कि पार्किंग संभव है और जो पार्किंग में ही अनुमति प्राप्त हैं उन्हें ही नगर निगम द्बारा तोड़ा जाये न कि ऐसे तलघर जो कि काफी कम स्थान में बने हुए हैं और वहां पर किसी भी स्थिति में पार्किंग होना संभव ही नहीं है| बावजूद इसके तोड़फोड़ की कार्यवाही किए जाने से राष्ट्रीय संपदा की क्षति हो रही है और लोगों के सामने उनकी आजीविका का संकट उत्पन्न हो रहा है। वहीं शासन को राजस्व की हानि भी हो रही है|
निगम की कार्यवाही में छोटे-छोटे तलघरों में भी तोड़फोड़ की जा रही है जिनका कि फ्रंट एरिया 10 से 15 फुट है| यदि इन तलघरों को तोड़ भी दिया जाए तो यह पार्किंग के लिए सुविधाजनक नहीं होंगे और न ही ग्वालियर शहर की पार्किंग समस्या का समाधान इससे सम्भव है| यही बात माननीय उच्च न्यायालय ने 24 अप्रैल 2017 के आदेश में कही थी और नगर निगम को पार्किंग का लंबी अवधि के लिए हल निकालने के लिए तकनीकी आधार पर दो माह में एक रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था|
एमपीसीसीआई ने पत्र के माध्यम से मांग की है कि ग्वालियर शहर के अंदर नगर निगम द्बारा तलघरों के नाम पर जो तोड़फोड़ की जा रही है, इसमें शासन द्बारा नीति बनाकर शहर में ऐसे तलघर जो बहुत छोटे हैं और उनमें पार्किंग नहीं हो सकती है, उन्हें तोड़ने के स्थान पर ऐसे तलघरों के लिए समझौता योजना लाई जाए, ताकि उसका कॉमर्शियल उपयोग हो सके| इससे शासन को राजस्व के रूप में धनराशि भी मिलेगी, वहीं लोगों को बेरोजगार होने से बचाया जा सकेगा और राष्ट्रीय संपदा के नुकसान का भी सामना नहीं करना पड़ेगा|