
राजेंद्र तलेगांवकर , द ग्वालियर । मध्य प्रदेश हाई कोर्ट खंड पीठ ग्वालियर के न्यायमूर्ति जी एस अहलुवालिया ने वन विभाग को आदेश दिया है कि अवैध रेत के परिवहन के आरोप में बंद वाहनों का 2 महीने के अंदर आवश्यक रूप से निराकरण करें।
नाका चंद्रबदनी निवासी गणेश प्रजापति ने एक याचिका अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया के माध्यम से हाईकोर्ट में इस आशय के प्रस्तुत की कि उसके पास माल ढोने के छोटे-छोटे वाहन हैं।पिछले वर्ष दिनांक 20:12 2019 को विनय नगर ग्वालियर से बड़े-बड़े डंपरो से लाने वाले रेत को JAH हॉस्पिटल में निर्माणाधीन बिल्डिंग बनाने के लिए रेत ला रहा था तभी वन विभाग के अधिकारियों द्वारा उसके वाहनों को पकड़ लिया गया तथा राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण देवरी मुरैना में ले जाकर जप्त कर दिया गया, किंतु 1 साल के भीतर न तो उक्त वाहनों को मुक्त किया गया और नहीं कोई आदेश पारित किया गया।
राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण देवरी जिला मुरैना से याचिककर्ता को एक साल बाद दिनांक 17 दिसंबर 2020 को एक नोटिस जारी किया गया और उनसे कहा गया की उनके उक्त वाहन चंबल नदी से अवैध उत्खनन करते हुए पाए गए। इसलिए वह कथन देने के लिए कार्यालय में उपस्थित हो।नोटिस में चंबल नदी का उल्लेख किया गया, जबकि याचिकाकर्ता के वाहन चंदन नगर बहोड़ापुर ग्वालियर से जप्त किए गए जो कि पुलिस थाना बहोड़ापुर के माध्यम से अधीक्षक राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण देवरी जिला मुरैना को सुपुर्द किए गए। इसलिए ऐसे वाहनों के विरुद्ध जो कि शहर से बाहर से बड़े-बड़े रेत के डंपरो से थोड़ा-थोड़ा रेत शहर के अंदर निर्माणाधीन स्थल पर ढोते हैं तो ऐसे वाहनों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती और वन विभाग द्वारा जो नोटिस जारी किया गया है वह अवैध है।
इसलिए नोटिस को खारिज किया जाए तथा वाहनों को छोड़ा जाए। हाई कोर्ट द्वारा वाहनों के संबंध में 1 वर्ष तक कोई आदेश न किए जाने पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए वन विभाग को आदेशित किया है कि याचिकाकर्ता द्वारा जो जवाब प्रस्तुत किया गया है, उसको तथा उसके गवाहों को दृष्टिगत रखते हुए वाहनों के संबंध में 2 माह के भीतर वैधानिक आदेश पारित करें।