
लोकायुक्त के जाल में फंसा सौदेबाज ड्रग इंस्पेक्टर अजय ठाकुर, ग्वालियर कलेक्ट्रेट में 25 हजार की रिश्वत के साथ पकडा गया बाबू
द ग्वालियर। रिश्वत दो और ड्रग लाइसेंस लो। ड्रग लाइसेंस के नाम पर ग्वालियर में इसी रिश्वतखोरी का खेल उजागर हुआ है। लोकायुक्त के जाल में हजारों रूपए की रिश्वत मांगने वाला ड्रग इंस्पेक्टर अजय ठाकुर फंस गया है। वहीं, लिपिक आयूब खान को 25 हजार रूपए की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त ने मौके पर रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया है। लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद उप-चुनाव की तैयारियों में जुटे कलेक्ट्रेट दफ़तर में खलबली मच गई।
यह है पूरा मामला
हुआ यूं कि लधेडी में रहने वाले महेंद्र पाल नाम के शख्स को ड्रग लाइसेंस बनवाना था। इसके लिए उसने 3150 रूपए की ड्रग लाइसेंस बनाए जाने में लगने वाली फीस की रसीद भी कटवाई। महेंद्र के मुताबिक इसके बाद वह सिरोल पहाडी स्थित न्यू कलेक्ट्रेट में बने औषधीय विभाग पहुंचा। यहां उसकी मुलाकात ड्रग इंसपेक्टर अजय ठाकुर से हुई। लाइसेंस के एवज में अजय ठाकुर ने 30 हजार रूपए बतौर रिश्वत की मांग रखी। रिश्वत की रकम ज्यादा थी, लिहाजा पैसो के लेनदेन का लेकर कई दिनों तक बातचीत का सिलसिला चलता रहा। महेंद्र के मुताबिक 27 अक्टूबर को उसने अजय ठाकुर को फोन किया और इस रकम को लेकर फायनल बात करने के लिए कहा। महेंद्र को दफ्तर न बुलाते हुए अजय ठाकुर खुद उसकी दुकान पर पंहुचा और 30 हजार से शुरू हुई बात 25 हजार रूपए की रिश्वत पर फायनल हुई।
इस पूरी बात और मुलाकात की रिकॉर्डिंग भी महेंद्र ने की। बाद में महेंद्र ने सीधे लोकायुक्त से संपर्क साधा। मामला जानने के बाद लोकायुक्त ने प्लान तैयार किया और महेंद्र को आज गुरूवार 25 हजार रूपए देकर कलेक्ट्रेट स्थित औषधीय विभाग भेजा। महेंद्र जब वहां पंहुचा तो अजय ठाकुर दफ़तर में नहीं था। लिहाजा महेंद्र ने अजय ठाकुर को मोबाइल किया। अजय ठाकुर ने 25 हजार रूपए की राशि अपने लिपिल अयूब खान को देने के लिए कहा। महेंद्र ने ड्रग इंसपेक्टर के कहने पर 25 हजार रूपए लिपिक अयूब खान को दे दिए। इसके बाद महेंद्र का इशारा मिलते ही लोकायुक्त की टीम ने छापा मार दिया, जिसमें आयूब खान को रंगे हाथों गिरफ़तार कर लिया। वहीं, महेंद्र के बयानों के आधार पर ड्रग इंस्पेक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।