
महिला जिस पुरुष के साथ लिव इन रिलेशनशिप में थी उसी ने न्यायालय में लगाई बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका। अगली सुनवाई पर होगा विचार।
द ग्वालियर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि क्या पति के रहते पत्नी लिव इन रिलेशनशिप में रह सकती है। इस बिंदु पर अगली तारीख पर विचार होगा। तब तक के लिए महिला को नारी निकेतन भेजा जाता है। दरअसल, महिला जिस पुरुष के साथ लिव इन रिलेशनशिप में थी उसी ने न्यायालय में बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका प्रस्तुत की थी।
याचिकाकर्ता उदयवीर सिंह ने उच्च न्यायालय में बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका प्रस्तुत कर कहा कि वह जिस महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में है, उसे महिला के पति ने अपने घर में बंधक बनाकर रखा है। पुलिस ने महिला को उसके पति के घर से बरामद कर न्यायालय में पेश किया। पर महिला ने अपने पति के साथ जाने से इंकार कर दिया।
मामले की सुनवाई कर न्यायालय ने कहा कि अगली सुनवाई पर यह विचार किया जाएगा कि क्या पति के रहते हुए महिला को लिव इन रिलेशनशिप में रहने की अनुमति दी जा सकती है। न्यायालय ने कहा कि महिला को उसके माता-पिता के घर भेजा जा सकता है, लेकिन वह न्यायालय में उपस्थित नहीं हैं। महिला पति के साथ भी जाना नहीं चाहती है। वहीं, महिला को याचिकाकर्ता के साथ भी नहीं भेजा जा सकता है, इसलिए महिला को नारी निकेतन भेजा जाता है।
इलाहबाद उच्च न्यायालय ने बताया दुराचार
हाथरस निवासी आशा देवी व अरविंद ने इलाहबाद हाईकोर्ट में एक याचिका प्रस्तुत की थी। आशा देवी का अपने पति महेश चंद से तलाक नहीं हुआ है। किंतु आशा देवी पति से अलग दूसरे पुरुष के साथ पति-पत्नी की तरह रहती है। न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि इस तरह का संबंध लिव इन रिलेशनशिप नहीं है, बल्कि जारता/दुराचार का अपराध है। इसके लिए पुरुष अपराधी है।