
आम बजट में आयकर एवं जीएसटी पर प्रस्तावित प्रावधानों एवं जटिलताओं पर चर्चा का आयोजन। जीएसटी एवं आयकर बिन्दु पर चर्चा के लिए सीए एवं कर विशेषज्ञ हुए शामिल।
द ग्वालियर। चेंबर भवन में आम बजट (वर्ष 2021-22) में आयकर एवं जीएसटी पर प्रस्तावित प्रावधानों एवं जटिलताओं पर शहर के प्रमुख चार्टर्ड एकाउंटेंट सहित कर विशेषज्ञ, व्यवसाई एवं उद्यमी के बीच मंथन हुआ। इस अवसर पर चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विजय गोयल ने कहा कि चर्चा दौरान आए बहुमूल्य सुझावों को मध्य प्रदेश चेंबर ऑफ कॉमर्स (एमपीसीसीआई) केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को भेजा जाएगा।
मानसेवी सचिव डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने आयकर एवं जीएसटी से संबंधित विभिन्न प्रावधानों को प्रस्तुत करते हुए विषय विशेषज्ञों से उन पर व्यापारिक एवं औद्योगिक हित में अपने सुझाव प्रस्तुत करने का आग्रह किया। साथ ही, आपने कर विशेषज्ञों से अपने-अपने सुझाव लिखित रूप में भी उपलब्ध कराने का आग्रह किया, ताकि उन्हें संग्रहित करके, संस्था की ओर से एक विस्तृत सुझाव व मांग पत्र केंद्रीय वित्तमंत्री को प्रस्तुत किए जा सके।
इस मौके पर सीए अशोक विजयवर्गीय ने कहाकि इस बार आम बजट में राहत पहुंचाने के बजाय टेक्नीकल चेंजेज ज्यादा किए गए हैं, लेकिन बजट में कुछ अच्छी बाते भी हैं। जैसे कि इंश्योरेंस में एफडीआई को छूट दिए जाने की घोषणा की गई है। साथ ही, पॉवर सेक्टर में भी अच्छी घोषणा की गई हैं। बजट में आयकर के 79 क्लॉल में चेंज किए गए हैं, परंतु मेजर परिवर्तन काफी कम हैं। आपने इस अवसर पर ईपीएफ में जमा की जाने वाली रु. 2.50 लाख तक की राशि पर ही टैक्स छूट मिलने तथा इससे ऊपर की राशि पर टैक्स लगाए जाने के प्रावधान सहित ईपीएफ जमा करने के ग्रेस पीरियड को समाप्त किए जाने की विस्तृत जानकारी से अवगत कराया गया। इसका एमपीसीसीआई के पदाधिकारियों ने विरोध करते हुए, ग्रेस पीरिडय को पुनः लागू किए जाने की मांग केंद्रीय वित्तमंत्री को प्रस्तुत करने वाले मांग पत्र में शामिल किए जाने की बात कही।
उन्होंने बताया कि गुडविल में नया संशोधन कर दिया गया है। अब आयकर में डिडेक्शन नहीं मिलेगा। अब माल खरीदी पर टीसीएस लगा दिया गया है। एक वर्ष में 10 करोड़ से ऊपर का टर्नओवर होने अथवा 50 लाख का माल क्रय करने पर एक फीसदी टीसीएस काटना अनिवार्य कर दिया गया है, जबकि पूर्व में यह प्रावधान विक्रेता के ऊपर लागू था। इससे व्यापारी की परेशानी बढ़ेगी और अनावश्यक आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा।
वहीं, आमबजट में जीएसटी प्रावधानों के बारे में सीए दीपक बाजपेयी ने बताया कि जीएसटी पोर्टल की कार्यप्रणाली से व्यापारी त्रस्त हो गए हैं। वास्तविक स्थिति यह है कि अधिकारियों को जीएसटी पोर्टल पर कार्य करने की नॉलेज ही नहीं है। आपने बताया कि माल परिवहन पर अनजाने में व्यापारी से होने वाली छोटी-छोटी गल्तियों पर पूर्व में 100% का जो जुर्माना वसूले जाने का प्रावधान था, उसे अब आमबजट में 200% कर दिया गया है, जबकि वास्तविकता यह है कि ऐसे प्रकरण जब अपील में जाते हैं, तो 99% को छूट मिल जाती है। बावजूद इसके इस प्रावधान को केवल व्यापारियों को परेशान करने के लिए लाया गया है, इसलिए इस प्रावधान को समाप्त किया जाए। इस प्रकार के व्यापार विरोधी संशोधनों को निरस्त करके पूर्व के प्रावधानों को लागू किए जाने की मांग चर्चा में की गई।
उन्होंने बताया कि 50 लाख से ऊपर 1% के मासिक जिनका टर्नओवर 50 लाख से ऊपर मासिक है, उनको 99 फीसदी तक की इनपुट क्रेडिट ही मिल सकेगी। यानी कि जीएसटी का 1% उनको नगद जमा करना ही होगा। यह प्रावधान व्यापार में कड़े अवरोधक का काम करेगा, क्योंकि प्रत्येक व्यापारी और उद्योगपति के पास तरलता का अभाव है और ऐसी स्थिति में इनपुट क्रेडिट होते हुए भी टैक्स भरना पड़ेगा। इससे तरलता में कमी आएगी और ईमानदारी से कर जमा करने की प्रवृत्ति में भी यह बाधक बनेगी, इसलिए इस प्रावधान को समाप्त किया जाना चाहिए।
सीए दीपक बाजपेयी ने बताया कि ईवे बिल की समय सीमा जो कि एक दिन में 100 किमी थी, उसे अब बढ़ाकर 200 किमी कर दिया गया है, यानी कि एकदम दो-गुना। चर्चा में इस दूरी को 150 किमी किए जाने की मांग की गई है, क्योंकि अक्सर ट्रैफिक जाम में ट्रक फंस जाते हैं और माल की डिलेवरी संभव नहीं हो पाती है। इसलिए इसकी सीमा एक दिन में अधिकतम 150 किमी ही रखी जानी चाहिए। चर्चा में एमपीसीसीआई के संयुक्त अध्यक्ष प्रशांत गंगवाल, मानसेवी संयुक्त सचिव ब्रजेश गोयल, सीए आशीष पारिख, सीए नितिन पहाड़िया, सीए एसके जैन सहित कर सलाहकार शामिल थे।